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बाढ़ सब बहा ले गई,2 दिन से बच्चे भूखे हैं:  रात 3 बजे सैलाब आया, जैसे-तैसे जान बचाकर भागे, 3 जिलों से बाढ़ पीड़ितों की कहानी – Darbhanga News

बाढ़ सब बहा ले गई,2 दिन से बच्चे भूखे हैं: रात 3 बजे सैलाब आया, जैसे-तैसे जान बचाकर भागे, 3 जिलों से बाढ़ पीड़ितों की कहानी – Darbhanga News

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‘रात में सो रहे थे। इसी दौरान बिस्तर पर पानी आ गया। नींद खुली तो देखा पूरा घर पानी से भरा है। फिर क्या करें, हाथ में जो सामान आया, वह लेकर कमर भर पानी से गुजरते हुए बांध तक पहुंचे। 2 दिन से बच्चे भूखे हैं। ना घर बचा ना खाने का कुछ सामान।’

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यह दर्द है दरभंगा के कुशेश्वर स्थान पूर्वी प्रखंड के बाढ़ पीड़ित का। दरअसल, सोमवार की रात करीब 3 बजे कमला बलान का पूर्वी तटबंध टूट गया। तटबंध टूटने के बाद दो दर्जन गांव बाढ़ के पानी में डूब गए। वहीं, कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से सुपौल और सहरसा के दर्जनों गांव में पानी घुस गया है और लोग सुरक्षित स्थानों पर जैसे-तैसे रहने को मजबूर हैं।

मंगलवार को दैनिक भास्कर की टीम दरभंगा के कुशेश्वर स्थान पूर्वी प्रखंड, सुपौल और सहरसा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंची। दरभंगा के बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंचने पर यहां नाव पर बैठी गोभी देवी और उनकी बेटी नाव चला रही थी।

वो पानी में डूबे घर की ओर जा रही थी। गोभी देवी ने बताया कि ‘रात में गांव के लोग सोए नहीं थे। तटबंध टूटा तो तेजी से गांव में पानी घुसने लगा। गांव के लोग पानी आया पानी आया चिल्लाते भागने लगे। हम भी उन लोगों के साथ भागकर बांध तक पहुंच गए।’ पढ़िए बाढ़ पीड़ितों की कहानी

कमला बलान का पूर्वी तटबंध टूटने के बाद गांव में तेजी से पानी घुसने लगा।

पहले पढ़िए दरभंगा के बाढ़ पीड़ितों की कहानी

कमला बलान का पूर्वी तटबंध टूटने से ईटहर, लक्ष्मीनिया, चौकिया, बसवरिया, समोर, उसरी, बलथरवा, जिमराहा, विगुनिया और आसपास के गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। स्थिति यह है कि कोसी और कमला नदी एक हो गई है। पश्चिमी तटबंध पर शरण लिए लक्ष्मीनिया गांव की रहने वाली गोभी देवी कहती है कि ‘पानी में डूबे घर जा रहे है, ताकि अनाज को निकाल सके।’ इन गांवों में फंसे लोगों को NDRF की टीम रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है।

ईटहर गांव के रहने वाले दिगंबर राय ने बताया कि ‘रात 9 बजे से कोसी का पानी कमला बलान की पूर्वी तटबंध के कई स्थानों से ओवरफ्लो करने लगा था। ग्रामीण कुदाल से मिट्टी रखकर तटबंध को बचाने में जुट गए थे। इसके बावजूद तटबंध टूट गया। इसके बाद गांव में अफरा तफरी मच गई। लोग कमला नदी के पूर्वी और पश्चिमी तटबंध की ओर भागने लगे।’

बाढ़ में सब डूब जाने के बाद कमला बलान के पूर्वी तटबंध पर नवजात के साथ बैठी सुवितिया देवी।

बाढ़ में सब डूब जाने के बाद कमला बलान के पूर्वी तटबंध पर नवजात के साथ बैठी सुवितिया देवी।

भिंडुआ पंचायत के गोवराही गांव की रहने वाली सुवितिया देवी ने बताया कि ‘दो दिन पहले बच्ची को जन्म दिया। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद घर जा रहे थे, लेकिन गांव में पानी होने की वजह से बांध पर शरण ली है।’

बांध पर 500 से ज्यादा लोगों ने शरण ली है

गोपी सदा ने बताया कि ‘गोवराही और लक्ष्मीनिया गांव के 500 लोगों ने बांध पर शरण ली है। हम सभी लोग और बच्चे भूखे हैं। अब तक प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है।’

वहीं, गोवराही गांव के रहने वाले निवासी चुन्नी लाल सदा ने बताया कि ‘गांव में पानी घुसने लगा तो पूरे परिवार के साथ सुरक्षित स्थान पर पहुंचे। इसको लेकर निजी नाव की मदद ली।’

इस तरह से बाढ़ का पानी घरों में घुटने तक भर गया है।

इस तरह से बाढ़ का पानी घरों में घुटने तक भर गया है।

अब सहरसा के बाढ़ पीड़ितों की कहानी….

भूखे-प्यासे रहने को मजबूर हैं लोग

भास्कर की टीम सहरसा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र महिषी पहुंची। यहां बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग सहरसा-बलुआ एनएच पर शरण लिए हुए हैं। हमारी मुलाकात कोठिया पंचायत के रहने वाले सोहन सादा, सिकंदर सादा, मोहन सादा, सुभाष सादा, विकास सादा, केदार सादा, दिलीप सादा से हुई। इन्होंने बताया कि रविवार की सुबह 7 बजे ही घर में गर्दन भर पानी आ गया।

दिलीप सदा ने बताया कि ‘घर और सामान छोड़कर सिर्फ मवेशियों के साथ सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए।’

एनएच पर कुंदह पंचायत के प्राणपुर गांव के करीब 12 परिवार रह रहे हैं।

एनएच पर कुंदह पंचायत के प्राणपुर गांव के करीब 12 परिवार रह रहे हैं।

जयराम सादा ने बताया कि ‘गांव में अचानक पानी घुसने लगा। किसी तरह महिलाओं-बच्चों को निकाल कर सुरक्षित स्थान पर लाए। लेकिन, कई मवेशी पानी में बह गए।’

बाढ़ पीड़ित चौकी और प्लास्टिक के सहारे सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं।

बाढ़ पीड़ित चौकी और प्लास्टिक के सहारे सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं।

वहीं, राजेंद्र सादा ने बताया कि ‘हमारी कई बकरियां डूब कर मर गई। परिवार के साथ कमर भर पानी में से किसी तरह बाहर निकले। मंगलवार को तीसरा दिन है, लेकिन कोई मदद नहीं मिली है।’

अब सुपौल के बाढ़ पीड़ितों की कहानी….

सुपौल में करीब 3.5 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। जिले के 6 प्रखंड बसंतपुर, निर्मली, मरौना, सरायगढ़-भपटियाही, किसनपुर और सदर में तटबंध के भीतर बसे गांवों में बाढ़ का पानी फैल गया है।

तुलसियाही गांव के बबलू कुमार ने बताया कि बाढ़ से मची तबाही हम लोग झेल रहे हैं। हमने कड़ी मेहनत कर खेती की थी। अब सब बर्बाद हो गया है। ​​​​इसी दौरान बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने जदयू विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव पहुंचे। उनके साथ अधिकारियों की टीम थी। उन्होंने बताया कि पीड़ितों के बीच सरकारी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

ये खबर भी पढ़िए…

रात 1 बजे तटबंध टूटा, सैलाब आया, चीखने लगे लोग:हम दौड़ते-भागते सुरक्षित जगहों तक पहुंचे, बच्चे भूखे हैं, दरभंगा के बाढ़ पीड़ितों की कहानी…

दरभंगा जिले के किरतपुर प्रखंड के भभौल गांव के पास रविवार की रात एक बजे कोसी नदी का तटबंध टूट गया। तटबंध टूटते ही भभौल गांव के लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में चिखते-चिल्लाते भागने लगे। यह स्थिति सिर्फ भभौल गांव की ही नहीं थी, बल्कि आसपास के दो दर्जन गांवों की भी थी।

सोमवार को भास्कर की टीम किरतपुर और घनश्यामपुर प्रखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंची। यहां हमारी मुलाकात भभौल गांव के आदर्श कुमार से हुई। आदर्श ने बताया कि ‘रात के अंधेरे में तटबंध टूटा तो गांव में तेजी से पानी घुसने लगा। हम दौड़ते-भागते सुरक्षित जगहों तक पहुंचे।’ पूरी खबर पढ़िए



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