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माता और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना फोकस:  भारत सरकार के लक्ष्य को लेकर किशनगंज में आठ स्तर पर निरीक्षण, गुणवत्ता की हुई जांच – Kishanganj (Bihar) News

माता और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना फोकस: भारत सरकार के लक्ष्य को लेकर किशनगंज में आठ स्तर पर निरीक्षण, गुणवत्ता की हुई जांच – Kishanganj (Bihar) News

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किशनगंज में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य केंद्र बहादुरगंज की गुणवत्ता मापी गई है। दरअसल, भारत सरकार ने लक्ष्य योजना शुरू की है। इसके जरिए लेबर रूम और ऑपरेशन थिएटर में प्रसूता को आधुनिक सुविधाएं दी जाएंगी। इसका मकसद है कि मातृ

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लक्ष्य टीम के निरीक्षण में बेहतर प्रदर्शन करने वाले अस्पतालों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इससे अस्पताल के लेबर रूम और ऑपरेशन थिएटर में आधुनिक उपकरणों की सुविधाओं के साथ प्रसव से जुड़ी नई तकनीक का प्रयोग किया जा सके। साथ ही जच्चा और बच्चा का पूरा ध्यान रखा जा सके।

रीजनल कोचिंग दल के सदस्यों ने किया निरीक्षण

जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बहादुरगंज में रीजनल कोचिंग दल के सदस्य ने लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक कौशर इकबाल की ओर से निरीक्षण किया गया है। उन्होंने प्रसव कक्ष और मातृत्व ओटी का मूल्यांकन किया। इस क्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बहादुरगंज की गुणवत्ता की मैपिंग की गई ।

स्वास्थ्य केंद्र

इसमें कुल आठ तरह के मूल्यांकन पैमाने बनाए गये थे। इसमें अस्पताल की आधारिक संरचना के साथ साफ-सफाई का स्तर, स्टाफ की उपलब्धता, लेबर रूम के अंदर जरूरी संसाधनों की उपलब्धता की मैपिंग की गयी है। साथ ही प्रसव कक्ष में सभी 36 प्रकार के रजिस्टर के अपडेट की जानकारी ली गई।

निरीक्षण को लेकर पहुंची रीजनल कोचिंग दल के सदस्य क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक कौशर इकबाल और पिरामल स्वास्थ्य डॉ सनोज शामिल हुए। भौतिक निरीक्षण कर 8 इंडीकेटर की जांच होती है।

जायजा

जायजा

सिविल सर्जन राजेश कुमार ने कहा कि लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए रीजनल और जिला स्तरीय दल लगातार प्रयत्नशील है। इसमें दल ने 8 मानक, जिसमें मुख्य रूप से सेवा प्रावधान, रोगी का अधिकार, सपोर्ट सर्विसेज, क्लीनिकल सर्विसेज, इन्फेक्शन कंट्रोल, क्वालिटी मैनेजमेंट, आउट कम का मूल्यांकन किया जाना शामिल हैं।

डीपीएम डॉ मुनाजिम ने बताया कि सभी आठों इंडिकेटर के कुल 362 उप मानकों पर अस्पताल के प्रसव कक्ष और शल्य कक्ष का लगभग 6 से 9 महीनों तक लगातार क्वालिटी सर्किल, ज़िला कोचिंग दल और क्षेत्रीय कोचिंग दल की ओर से लगातार निरीक्षण कर आवश्यकतानुसार सभी कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है।



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